Sunday, September 29, 2013

तुम ने भी हमें बस एक दिए की तरह समझा था
रात गहरी हुयी तो जला दिया सुबह हुयी तो बुझा दिया

शुभ रात्रि मित्रो
बड़े सलीक़े, बड़ी सादगी, से काम लिया
गिरते गिरते भी खुद को संभाल लिया
हम तो अँधेरे में गुम हो गये होते
अँधेरे में दिया जला के इन्तक़ाम लिया!

ये मत सोचना की तुमने छोड़ दिया तो टूट गये हम,
वो भी जी रहे हैं जिनको तेरी खातिर छोड़ा था हमने..

सुप्रभात मित्रो
डूब कर तैरना जानते है वो जो हमें जिंदगी से डरा रहे है
डर कर बैठे वो किनारों पे जो मौत का खौफ दिखा रहे है

कोई मिल जाए तुम जैसा,. ये ना-मुमकिन है ..
पर तुम ढूँढ लो हम जैसा.. इतना आसान ये भी नहीं .

शुभ रात्रि मित्रो
में तो बदनाम हुयी करके मोहब्बत
तुम तो समझदार हो दूर रहो इससे

बहुत जुदा है औरोँ से मेरे दर्द की कहानीँ
जख्म का कोई निशाँ नहीँ और दर्द की कोई इँतहा नहीँ।

अगर वो पूँछ लें हम से , तुम्हें किस बात का गम है !
तो फिर किस बात का गम है ,अगर वो पूँछ लें हम से ......!!

हम पर जो गुजरी है क्या तुम सुन पाओगे
नाजुक सा दिल रखते हो रोने लग जाओगे,
बहुत दुख दिए हैँ तकदीर और दोस्तो ने
बैठो मेरे पास मोहब्बत भूल जाओगे ।

क्या बताऊ कैसे खुद को दरबदर मैंने किया
उम्र भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया
तू तो नफरत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार बेखबर तुझसे मैंने किया

जब किसी दिन "वो" मेरे दिल को रिहाई देगा,
मेरे अन्दर कोई तूफान सुनाई देगा,

सुप्रभात मित्रो
कफ़न न डालो मेरे चेहरे पर , मुझे आदत है मुस्कुराने की ,
आज की रात न दफनाओ मुझे यारो , कल उम्मीद है उनके आने की ..!!

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गोहर बरसे
और इस दिल की तरफ बरसे तो पत्थर बरसे.
हम से मजबूर का गुस्सा भी अजब बादल है
अपने ही दिल से उठे, अपने ही दिल पर बरसे

बहुत तमन्ना थी किसीको अपना बनाने की
बहुत तमन्ना किसी का हो जाने की
पता चला जिन्हें हम अपना बनाना चाहते थे
उन्हें आदत ही नही थी किसी को अपना बनाने की

जाते जाते वो हमें ऐसी निशानी दे गया
उम्र भर भुला ना सकू ऐसी कहानी दे गया
हम तो रह गये प्यासे के प्यासे
पर हमारी पलकों को वो पानी दे गया

डुब जाती है कश्तियाँ जब आते है तुफान,
यादे रह जाती है बिछड जाते है इनसान,
याद रखो तो बहुत करीब पाओगे,
भुल जाओगे तो ढुढते रह जाओगे,

न जाने रोज कितनी बेबसी बर्दाश्त करते है
अगर सच पूछिये जिंदगी बर्दाश्त करते है
किसी को क्या खबर हमपे जो गुजरी है मुहब्बत में
लहू के घूँट पीकर आशिकी बर्दाश्त करते है
गमो के मौसमो में चाँद भी कितना अखरता है
की रखकर दिल पर पत्थर चाँदनी बर्दाश्त करते है

लिख्खी हुयी तहरीर मिटा क्यों नही देते
पत्थर हूँ रास्ते से हटा क्यों नही देते
में वो रकम हूँ जिसपे सूद भी नही मिलता
में जोड़ भी नही हूँ घटा क्यों नही देते

न ये हसरत तुम्हारी है , न ये हसरत हमारी है
मुल्क दोनों का है लेकिन फैली कैसी खुमारी है
मुझे हिन्दू बना ड़ाला तुझे मुस्लिम बना ड़ाला
ये अपने देश में फैली सियासत की बीमारी है

तुम्हारी रुसवाई के कुछ पहलु निकलेंगे
मुहब्बत करके देखो आँख से आसू निकलेंगे
अँधेरे में हुकूमत कर रहे है हम
देखना हमारी तरफदारी में जुगुनू भी निकलेंगे

कभी चाहत भरा दिन रात भी अच्छा नहीं लगता
कभी अच्छा तालुकत भी अच्छा नहीं लगता
कभी दिल चाहता है उस की मुट्ठी मे धड़कना
तो कभी हाथों मे उसका हाथ भी अच्छा नहीं लगता

किस बात पर जान खो रहे हो
क्यों मुझ से लिपट के रो रहे हो
क्या कोई तुम्हारा मुमतजिल है
या किसी के हो रहे हो

जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है
सर अगर झुकाव तो सनम खुदा हो जाता है
जब तलक काम आते रहो हमसफ़र कहलाते रहो ...

मुझको उदास देखकर ज़माने ने ये सवाल किया ,
आखिर कौन है वो जालिम जिसने तेरा ये हाल किया ,

किसने मुहर लगा दी तेरे होंठों पे ख़ामोशी की।
कौन है वो बदबख्त, जिसने तेरा जीना मुहाल किया।।

कितने दूर निकल गये रिश्ते निभाते निभाते
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते पाते
लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में
और हम थक गये मुस्कराते मुस्कराते ...!!

सुना है वो हमको भुलाने लगे है
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे है


बहुत नजर अंदाज करने लगे हो आजकल तुम .!! बाज आ जाओ ..!!
वरना इन्ही नजरो से ढूंढते रह जाओगे ...!!!!!

तेरे साथ रहने पे बस नही तुझे भूलना भी मुहाल है
में कहा गुजारू ये जिन्दगी मेरे सामने ये सबाल है

यारो के बिच याराना सिख गए !
थोरा सुर लगाया और तराना सिख गए !!
सब कुछ ठीक था अपने जिंदगी में...!
गलत तो तब हुआ जब दिल लगाना सिख गए !!

मैं कोशिश तो बहुत करती हूँ उसको जान लूं लेकिन
वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है

कागजी फूलो में खुशबू तो नही होती है
इत्र उनपर भी छिडक दो तो महक जाते है
तुम अगर कीमती हीरा हो तो रातों में मिलो
धूप में तो कांच के टुकडे भी महक जाते है

अगर दिया बनू तो पतंगा नसीब हो मुझको
नहाना चाहू तो गंगा नसीब हो मुझको
मेरी तमन्ना अगर है तो बस ये है
कि यू मरुँ की तिरंगा नसीब हो मुझको

विश्वास एक छोटा शब्द है जिसके मायने बहुत है पर मुश्किल ये है की लोग "विश्वास पर शक करते है" और अपने " शक पर विश्वास करते है "

" नज़र जब तक संभलती है , नज़ारे छूट जाते हैं,
कभी हाथों में आकर भी सहारे छूट जाते हैं,
कभी जिनके बिना, कहते हैं ये जीवन नहीं जीवन,
समय करवट बदलता है, वो प्यारे छूट जाते हैं!"

कोई मंजिल नही जंचती सफ़र अच्छा नही लगता
घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नही लगता
करू कुछ भी दुनिया को अब सब अच्छा ही लगता है
पर मधुर को अव तेरे बिना कुछ भी अच्छा नही लगता

बिछड़ के तुमसे हमारा अजीब हाल रहा
तुम्हारे बाद भी जिन्दा है ये कमाल रहा
सजा कबूल है लेकिन खता हुई क्या
हमारे लव पे हमेशा ही ये सबाल है

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