Tuesday, September 10, 2013

हिंदी शायरी

मे वो सूरज हूँ न डूबेगी कभी जिस की किरण
रात होगी तो सितारों में बिखर जाऊँगा !!!

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फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।।

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तुम ने ठीक कहा था उस दिन...-प्यार चाँद-सा ही होता है....
और नहीं बढ़ने पाता तो... धीरे-धीरे ख़ुद ही घटने लग जाता है

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ये तो बड़ा मुझ पर..अत्याचार हो गया
खामख्वाह मुझे...तुझसे प्यार हो गया

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स्त्री प्रेम करने के लिए है उसे प्रेम करने दो,,
पुरुष कर्म करने के लिए है उसे कर्म करने दो..

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खुशनसीब हैं वो जो दिल मे किसी को जगह देते हैं.
बेचैनी सहकर भी दूसरों को हंसना सिखा देते हैं.
दुनियावाले लाख चाहें बदनाम उन्हें कर लें.
मगर वो अपनी सादगी से हर दिल में जगह बना लेतें हैं...

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इस दुनिया से चले जाने के बाद हम तुम्हे ,
हर एक तारे में नज़र आया करेंगे ,
तुम हर पल कोई दुआ मांग लेना ,
और हम हर बार टूट जाया करेंगे .

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''...रूठना मत मुझे मनाना नहीं आता

दूर मत जाना मुझे बुलाना नहीं आता

तुम भूल जाओ तुम्हारी मर्ज़ी

मगर मैं क्या करूं,

मुझे तो भूल जाना भी नहीं आता...

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और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया
तूने जो बख्शी हमें बस चार दिन की ज़िंदगी
या ख़ुदा अच्छा किया जो साथ छोटा सा दिया.....

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बहाना क्यूँ तलाश करते हो
मसरूफ होने का
बस इतना कह दिया करो
अब दिल में जगह नहीं

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बहकते हुए फिरतें हैं कई लफ्ज़ जो दिल में.
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिखेंगे किसी रोज़...

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जल्दबाजी में शादी कर के .... सारा जीवन बिगाड़ लोगे
और सोच समझ के करोगे .... तो कौन सा तीर मार लोगे ?????

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हमारे गिरते हुए आँसू पकड कर तो देख,
वो भी कहते हैं हम आपके बिना रह नही सकते.

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जिंदगी एक अभिलाषा है
अजब इसकी परिभाषा है
जिंदगी क्या है मत पूछो यारो
सवर गई तो जन्नत
और बिखर गई तो तमाशा है .....शुभ संध्या मित्रो

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हमें तो कबसे पता था की तू बेवफ़ा है जान
तुझे चाहा इसलिए कि शायद तेरी फितरत बदल जाये.

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इश्क कि राह में दम निकले तो निकलें यारों
सलामत रहे मेरा भी जनाजा जालिमो के आगे.

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मुद्दत हुए मिला नही यार -दोस्तोँ से ,
शायद इसीलिए सब अधूरा- अधूरा सा लगता है।

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तुम्हारी हिचकियाँ बयाँ कर रही हैं हाजिरी मेरी
बस इतना तो बता दो, कब हम जुबाँ पे होंगे ?

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जो रिश्तो को निभाने का किया करते हैं दावा ..................
उन्हें ही वादा खिलाफत करते देखा है.....

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इस दुनिया से चले जाने के बाद हम तुम्हे ,
हर एक तारे में नज़र आया करेंगे ,
तुम हर पल कोई दुआ मांग लेना ,
और हम हर बार टूट जाया करेंगे .

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खुदा की रहमतों का जिक्र करते हैं इन्सां सभी
मगर इन्सानियत की कद्र करता नहीं हर कोई !

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बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने,
अपनी आंखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर.

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देखो, दस तक गिनूंगा।
आओ, तो ठीक,
वरना, फिर से गिनूंगा।

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मैनें कई बार
कोशिश की है
तुम से दूर जानें की,
लेकिन
मीलों चलनें के बाद
जब मुड़ कर देखता हूँ
तो तुम्हें
उतना ही करीब पाता
हूँ |

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थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ।
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ।
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें,
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ .

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तुम्हें ग़ैरों से कब फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली

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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी, मेरो दरद न जाणै कोय ॥

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सुप्रभात दोस्तों .......
उड़ने दो इन परिंदों को आज़ाद फिजाओ में,
अपने होगे तो लौट आयँगे किसी रोज....!!

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शुभ संध्या, दोस्तो
रूठ जाते है शब्द भी, अपने गलत इस्तेमाल पर
देखा है हमने शब्दों को भी, अक्सर नाराज़ होते हुए !!

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वो जब याद आये
बहुत याद आये !

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तू अगर मुझे नवाज़े तो तेरा करम है मेरे "मालिक" !!
वरना तेरी रहमतों के काबिल मेरी बंदगी नहीं !!

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ये भी गया सब ही जाते हैं
फिर जाने हम क्यूँ पछिताते हैं
मरते हैं लोग हर दिन कीड़ों की तरह
याद वही रहते हैं जो कुछ कर जाते हैं .

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आदाब-ऐ-मुहब्बत भी अजब है दोस्तों;
दो दिल मिलनेको राजी है
लेकिन यह तकल्लुफ है;
की वो पहला इशारा कौन करे?

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-अजीब से फासले हैं तेरे-ओ-मेरे दरमियाँ-
पास तुम रहती नहीं और दूर भी जाती नहीं .

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पति जो बहुत काला था पत्नी से बोला: मैं जैसा भी हूँ पर बच्चा अच्छा होना चाहिए॰

पत्नी ने कहा: सोच लो......,

अपना चाहिए या अच्छा चाहिए..

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अजीब कशमकश थी कि जान किसको दे
वो भी आ बैठे थे और मौत भी.

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परेशां हूँ कि परेशानी नही जाती ।
बचपन तो गया पर नादानी नही जाती

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इल्ज़ामों से बेहतर खामोश रहना ,
लगा लिए हैं ताले जज़्बात पर !

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बस एक बार निकाल दो इस इश्क से ऐ खुदा ,
फिर जब तक जियेंगे कोई खता न करेंगे .....

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न जाने कितने काँटों की चुभन लेकर
...एक लाल गुलाब मुस्कराता है !!

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" मैं ताक रहा.. उस को.. वो झांक रहा.. मुझ को..
इस ताक - झांक.. में ही.. ज़िन्दगानी गुज़र गई ... "

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तरस जाओगे हमारे लबो से सुनने को एक एक लफ़्ज;
प्यार की बाते तो क्या हम शिकायत भी नही करेंगे...

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ये तो बड़ा मुझ पर..अत्याचार हो गया
खामख्वाह मुझे...तुझसे प्यार हो गया

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गीली लकड़ी कि तरह रात भर सुलगीं यादें ,
रात भर धुँआ बहता रहा आंसू बनकर...!

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फेसबुक के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा आएगा |
कम्प्यूटर और मोडम तेरा यहीं पड़ा रह जाएगा |
पासवर्ड अपना भूल जाएगा ,ढूदेगा फिर गली गली ,
लेलो रे कोई फेसबुक का प्यारा ,राम नाम है सब से भली ||
क्या करता है मेरी मेरी यह तेरा लैपटाप नहीं ,
झूठे फेसबुक पर फंसा हुआ है वो सच्चा इन्सान नहीं
दो दिन का नेट पर डेरा है ,अंत में होगी चला चली ,
ले लो रे कोई फेसबुक का प्यारा ,राम नाम है सबसे भली |
जिसने राम की माला पकड़ी वे तो मालामाल हुए ,
इन्टरनेट का बिल भर भर के नेट वाले कंगाल हुए ,
फेसबुक ट्विटर वालो सुन लो बात सुनाऊ खरी खरी
ले लो रे कोई फेसबुक का प्यारा राम नाम है सबसे भली |

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मेरे सभी लिखने वाले दोस्तों के नाम ...
लिखो तो पैगाम कुछ ऐसा लिखो
के कलम भी रोने को मजबूर हो जाये
हर लफ्ज में वो दर्द भर दो की
पढने वाला प्यार करने पर मजबूर हो जाये.

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आपकी हंसी बहुत प्यारी लगती है;
आपकी हर ख़ुशी हमें हमारी लगती है;
कभी दूर ना करना खुद से हमें;
आपकी दोस्ती हमें जान से भी प्यारी लगती है।

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गुलाब मुहब्बत का पैगाम नहीं होता
चाँद चांदनी का प्यार सरे आम नहीं होता
प्यार होता है मन कि निर्मल भावनाओं से
वर्ना यूँ ही राधा-कृष्ण का नाम नहीं होता.

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बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग
दोस्त बन जाते हैं.
मिलने की खुशी दें या न दें,
बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं...!!

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मुड़कर भी ना देखा एक बार, जाते हुये उसने,
एक ना सुनी इस दीवाने की,
अब तो आदत सी हो गई है मुझको,
हर गम को छुपाने की.........

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होंठों पर "मुस्कान" हर मुश्किल
कार्य को आसान कर देती है l

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