Saturday, September 14, 2013

उनको शक हुआ मेरी वफा पर ?
और वो मुझे छोड चले।
मुझे विश्वास था उनकी मोहब्बत पर और हम उनके लौटने का आज तक इन्तजार करते रहे।

अरसा बीता ज़िन्दगी बीती सब कुछ बीता लेकिन फिर भी,
जो इश्क में बीती वो इश्क जाने या वो जाने जिस पर बीती...

दोस्त मिलते हैं यहाँ दिल को दुखाने के लिए,,
उँगलियाँ रखते हैं वो हम पे उठाने के लिए,,

रोये हैं बहुत तब ज़रा क़रार मिला है,,
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है,,

गुज़र रही है जिंदगी इम्तहान के दौर से,,
एक ख़त्म हुआ तो दूसरा तैयार मिला है,,
मेरे दामन को खुशियों का नही म़लाल,,

गम का खज़ाना जो इसको बेशुमार मिला है,,
वो बदनसीब हैं जिन्हें महबूब मिल गये,,
मैं खुशनसीब हूँ ,मुझे इंतज़ार मिला है।।।।


खुशियां कम और अरमान बहुत हैं,
जिसे भी देखिए यहां हैरान बहुत हैं,,

करीब से देखा तो है रेत का घर,
दूर से मगर उनकी शान बहुत हैं,,

कहते हैं सच का कोई सानी नहीं,
आज तो झूठ की आन-बान बहुत हैं,,

मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं,,

तुम शौक से चलो राहें-वफा लेकिन,
जरा संभल के चलना तूफान बहुत हैं,,

वक्त पे न पहचाने कोई ये अलग बात,
वैसे तो शहर में अपनी पहचान बहुत हैं।।।


"उसको मिल गए ख्वाहिश के मुताबिक अमीर,
मेरे अरमानो की कातिल निकली गरीबी मेरी"..


तुझे, ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए, तुझे भूल जाना भी मुश्किल है !!

हम अपने आंसुओ को चुन रहे है ?
सितारे किस लिए जल भुन रहे है ?


होंठो पर लाकर मधुर मुस्कान
स्वीकार करो मेरा प्रणाम ........शुभ प्रभात जी


कह दू तुम्हेँ . . .या चुप रहु . . .
दिल मे मेरे आज क्या है . . . .?


खुद ही दिल का रोग लगाये , खुद ही बैठा रोये ,
नैना रे नैना तुझसे बुरा न कोए ....


राह देखा करेगा सदियों तक,
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,
धज्जी-धज्जी रात मिली।
जिसका जितना आंचल था,
उतनी ही सौग़ात मिली।।
जब चाहा दिल को समझें,
हंसने की आवाज़ सुनी।
जैसे कोई कहता हो, लो
फिर तुमको अब मात मिली।।
बातें कैसी ? घातें क्या ?
चलते रहना आठ पहर।
दिल-सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली।।



सर पे जिम्मेदारियों का बोझ है, भारी भी है।
डगमगाते पाँवों से लेकिन सफर जारी भी है।

तलफ्फुजों की जिरह और बयान के झगड़े।
गजल की जान न ले लें जबान के झगड़े।।

जब धूप का समन्दर कुल आसमान पर है।
ऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।

या रब तू ही बचाना आफत सी जान पर है,
फिर तीर इक नजर का तिरछी कमान पर है।

उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।

 सत्य प्रकाश  से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
गजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।

ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बत का गम दिल पे उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझ कर हम से ना खेलो,
हम भी उसी खुदा के बनाऐ हुऐ हैं..

दिल में तमनाओं को दबाना सीख लिया,
गम को आँखों में छिपाना सीख लिया,
मेरे चहरे से कहीं कोई बात जाहिर ना हो,
दबा के होंठों को हमने मुस्कुराना सीख लिया..

बहुत चाहेंगे तुम्हे, मगर भुला ना सकेगे,
ख्यालों में किसी ओर को ला ना सकेंगे,
किसी को देखकर आँसु तो पोंछ लेंगे,
मगर कभी आपके बिना मुस्कुरा ना सकेंगे..

पास होते तो अपने पास बिठाती तुमको,
रख के दिल पे हाथ धडकन सुनाती तुमको,
और जो तुम सकुन की आरजू करते,
रखते सिर गोद में और सुलाती तुमको..


न कर गुमां बन्दे तूँ, अपने हुस्न ओ जवानी का,
तेरी जिंदगी क्या, फक्त एक बुलबुला है पानी का।

ये तेरी चन्दन सी देह भी, माटी में मिल जायेगी,
सब यहीं रह जायेगा, बस तेर नेकी साथ जायेगी।...

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