अच्छी सूरत भी क्या बुरी बला है , जिसने भी ड़ाली बुरी नजर ड़ाली .
तेरे ख्वाबों का भी है शौक, तेरी यादो में भी है मजा.....!! समझ में नही आता सो जाऊँ या तुझें याद करुँ....!!
मेरे कत्ल का इरादा हो तो खंजर से वार मत करना,
मेरे मरने के लिए काफी है तेरा ओरो से प्यार करना.......!!!
जिस्म छूती है जब आ आ के पवन बारिश में
और बढ़ जाती है कुछ दिल की जलन बारिश में
दूध में जैसे कोई अब्र का टुकड़ा घुल जाए
ऐसा लगता है तेरा सांवलापन बारिश में
अब तो रोके न रुके आंख का सैलाब सखी
जी को आशा थी कि आएंगे सजन बारिश में
जिस्म छूती है जब आ आ के पवन बारिश में
आप मानें या न मानें मेरा अपना है यक़ीन
ख़ूबसूरत ख्व़ाब से बढ़कर कोई धोखा नहीं….!!!
"लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया,
जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की"
दिल से गहरा न कोई समंदर मिला.
देखना हो तो अपना बना लो मुझे….!
ज़िंदगी ! सब तुम्हारे भरम जी लिए
हो सके तो भरम से निकालो मुझे….!!!
ये तेरे खत, तेरी खुशबू, ये तेरे ख्वाब-ओ-खयाल,
ये मेरी जाँ तेरे लिये है अपने प्यार की कसम ....!!!
नजर तुम्हारी नजर हमारी
नजर ने दिल की नजर उतारी
जिस नजर से देखा आपने
नजर को नजर ना लगे नजर हमारी
गुलशन है अगर सफ़र जिंदगी का,
तो इसकी मंजिल समशान क्यों है ?
जब जुदाई है प्यार का मतलब,
तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है ?
अगर जीना ही है मरने के लिए,
तो जिंदगी ये वरदान क्यों है ?
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,
आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है ?
तेरी आंखों में भी हमने प्यार का समन्दर ।
कौन सा वो राज़ है जो हमको बतलाते नहीं...
करें ? कैसे करें ? तेरे प्यार से शिकवा सनम ।
दिल ने है सोचा बहुत पर कुछ भी कह पाते नहीं...
याद करते हैं तुम्हें , बस भूल हम पाते नहीं ॥
मुहब्बत की बारिश में भीगा हुआ हूँ
तेरे बाद भी तुझमें डूबा हुआ हूँ…..
हुआ कैसा जादू अचानक ये मुझ पर
तुझे देखते ही मैं तेरा हुआ हूँ…..!!!
उसकी आँख का काजल पिघला होगा रात भर,
बेज़ुबाँ तकिये ने सुना दी दास्ताँ दर्द की….।
तू बचाए लाख दामन, मेरा फिर भी है ये दावा,
तेरे दिल में मैं ही मैं हूँ , कोई दूसरा नहीं है....!!
तड़पा के रख दिया है दिले-बेक़रार ने
मुझको तो मार डाला तेरे इंतज़ार ने …!!!
ख़्वाहिशों की ताजपोशी कर रहे हो तुम
वरना इतनी देर तक कोई भी इतराता नहीं…!!
मौत माँगते है तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते है तो वो भी दवा हो जाती है,
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूँ,
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है..
हटाये थे हमने जो राह से दोस्तों की,
वो पत्थर अब मेरे घर में आने लगे हैं !!
ये कहना कि उनसे मुहब्बत है मुझको,
ये कहने में मुझको तो 'ज़माने' लगे हैं !!
क़यामत यकीनन करीब आ गयी है,
हमने जाना 'वो' हमको भुलाने लगे हैं !!
नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे तुम्हारे संग रहती हूँ ऐसे, दिया संग बाती हो जैसे..
तुमसे प्यार करती हूँ ऐसे, सागर में बूंद रहती हैं जैसे..
तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ ऐसे पिया के इंतज़ार में बरसो से, पपीहा पुकारती हो जैसे..
तुम्हारे हर सफ़र पर साथ चलती हूँ ऐसे, तुम संग परछाई रहती हो जैसे..
तुम्हे खुद में महसूस करती हूँ ऐसे, दिल में धड़कने धड़कती है जैसे..
तुम्हे कैसे बताऊ कि प्यार करती हूँ तुम्हे कितना और कैसे, नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे...
जमीनें हैं कहीं सूखीं कहीं बादल बरसता है…..
यहाँ इतनी मुहब्ब्त है, ये दिल क्यों फिर तरसता है.!!
मन में प्यार भरा जब हो ऊपर तक
फिर शिकायत की फुरसत किसे है !
आप जब टकटकी लगाते हैं
सूखे पेड़ों पे फूल आते हैं …
कान में बाँसुरी सी बजती है
आप जब नाम से बुलाते हैं …
तेरे मिलने का भरोसा जिनको
वो हवाओं में उड़ते जाते हैं ….!!!
जब भी उससे हाल-ए-दिल कह आये हैं
वापस आकर हम कितना पछताये हैं…
तू अपनी राहों की मसावत कम कर दे
तेरी आहट की हम आस लगाये हैं…..!!!
अपनी आँखों से तेरा चेहरा हमेशा देखूँ
तेरी आँखों से मगर सारा ज़माना देखूँ...!!
पहले आहट का साया महसूस किया था साँसों ने..
फिर तेरे चेहरे को महसूस किया होगा मेरी आँखों ने...!!
मन में रहेगा मेरे बस प्यार का उजाला
हर राह ज़िन्दगी की रोशन करेंगी आँखें
ओ यार मेरे मुझको तस्वीर अपनी दे जा
तन्हाइयों में उससे बातें करेंगी आँखें….!!!
चलो आज
ये दुनिया
बांट लेते हैं;
तुम मेरे
और
बाकी सब
तुम्हारा
इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो....
बच के काँटों से
करो तुम क़दम, पैर नाज़ुक है उसको बचाया करो..!!
तुमने मुझको लिखा था जो ख़त प्यार का,
जो भी उसमें लिखा था वो अच्छा लगा
यूँ न नैनो से निंदिया चुराया करो,
आ के सपनों में मुझको सताया करो …..!!!
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं,
और क्या जुर्म है पता ही नहीं.|
इतने हिस्सों में बँट गयी हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं ..|
जाने क्यूँ लोग ख़त लिख़ना भूल जाते हैं ,
लिख्नना तो दूर जवाब देना भूल जाते हैं…
फ़ेर लेते हैं काग़ज़-कलम से मुँह अपना ,
हर्फ़ों का कर्ज़ हर्फ़ से देना भूल जाते हैं …!!!
मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ…
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे..!!!
जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे..,
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने बहुत रुलाया मुझे..|
तेरे ख्वाबों का भी है शौक, तेरी यादो में भी है मजा.....!! समझ में नही आता सो जाऊँ या तुझें याद करुँ....!!
मेरे कत्ल का इरादा हो तो खंजर से वार मत करना,
मेरे मरने के लिए काफी है तेरा ओरो से प्यार करना.......!!!
जिस्म छूती है जब आ आ के पवन बारिश में
और बढ़ जाती है कुछ दिल की जलन बारिश में
दूध में जैसे कोई अब्र का टुकड़ा घुल जाए
ऐसा लगता है तेरा सांवलापन बारिश में
अब तो रोके न रुके आंख का सैलाब सखी
जी को आशा थी कि आएंगे सजन बारिश में
जिस्म छूती है जब आ आ के पवन बारिश में
आप मानें या न मानें मेरा अपना है यक़ीन
ख़ूबसूरत ख्व़ाब से बढ़कर कोई धोखा नहीं….!!!
"लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की
जब, जहाँ, जो मिला, अपना लिया,
जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की"
दिल से गहरा न कोई समंदर मिला.
देखना हो तो अपना बना लो मुझे….!
ज़िंदगी ! सब तुम्हारे भरम जी लिए
हो सके तो भरम से निकालो मुझे….!!!
ये तेरे खत, तेरी खुशबू, ये तेरे ख्वाब-ओ-खयाल,
ये मेरी जाँ तेरे लिये है अपने प्यार की कसम ....!!!
नजर तुम्हारी नजर हमारी
नजर ने दिल की नजर उतारी
जिस नजर से देखा आपने
नजर को नजर ना लगे नजर हमारी
गुलशन है अगर सफ़र जिंदगी का,
तो इसकी मंजिल समशान क्यों है ?
जब जुदाई है प्यार का मतलब,
तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है ?
अगर जीना ही है मरने के लिए,
तो जिंदगी ये वरदान क्यों है ?
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,
आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है ?
तेरी आंखों में भी हमने प्यार का समन्दर ।
कौन सा वो राज़ है जो हमको बतलाते नहीं...
करें ? कैसे करें ? तेरे प्यार से शिकवा सनम ।
दिल ने है सोचा बहुत पर कुछ भी कह पाते नहीं...
याद करते हैं तुम्हें , बस भूल हम पाते नहीं ॥
मुहब्बत की बारिश में भीगा हुआ हूँ
तेरे बाद भी तुझमें डूबा हुआ हूँ…..
हुआ कैसा जादू अचानक ये मुझ पर
तुझे देखते ही मैं तेरा हुआ हूँ…..!!!
उसकी आँख का काजल पिघला होगा रात भर,
बेज़ुबाँ तकिये ने सुना दी दास्ताँ दर्द की….।
तू बचाए लाख दामन, मेरा फिर भी है ये दावा,
तेरे दिल में मैं ही मैं हूँ , कोई दूसरा नहीं है....!!
तड़पा के रख दिया है दिले-बेक़रार ने
मुझको तो मार डाला तेरे इंतज़ार ने …!!!
ख़्वाहिशों की ताजपोशी कर रहे हो तुम
वरना इतनी देर तक कोई भी इतराता नहीं…!!
मौत माँगते है तो जिन्दगी खफा हो जाती है,
जहर लेते है तो वो भी दवा हो जाती है,
तू ही बता ऐ दोस्त क्या करूँ,
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है..
हटाये थे हमने जो राह से दोस्तों की,
वो पत्थर अब मेरे घर में आने लगे हैं !!
ये कहना कि उनसे मुहब्बत है मुझको,
ये कहने में मुझको तो 'ज़माने' लगे हैं !!
क़यामत यकीनन करीब आ गयी है,
हमने जाना 'वो' हमको भुलाने लगे हैं !!
नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे तुम्हारे संग रहती हूँ ऐसे, दिया संग बाती हो जैसे..
तुमसे प्यार करती हूँ ऐसे, सागर में बूंद रहती हैं जैसे..
तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ ऐसे पिया के इंतज़ार में बरसो से, पपीहा पुकारती हो जैसे..
तुम्हारे हर सफ़र पर साथ चलती हूँ ऐसे, तुम संग परछाई रहती हो जैसे..
तुम्हे खुद में महसूस करती हूँ ऐसे, दिल में धड़कने धड़कती है जैसे..
तुम्हे कैसे बताऊ कि प्यार करती हूँ तुम्हे कितना और कैसे, नही बता पाउंगी की साँसे लेती हूँ कैसे...
जमीनें हैं कहीं सूखीं कहीं बादल बरसता है…..
यहाँ इतनी मुहब्ब्त है, ये दिल क्यों फिर तरसता है.!!
मन में प्यार भरा जब हो ऊपर तक
फिर शिकायत की फुरसत किसे है !
आप जब टकटकी लगाते हैं
सूखे पेड़ों पे फूल आते हैं …
कान में बाँसुरी सी बजती है
आप जब नाम से बुलाते हैं …
तेरे मिलने का भरोसा जिनको
वो हवाओं में उड़ते जाते हैं ….!!!
जब भी उससे हाल-ए-दिल कह आये हैं
वापस आकर हम कितना पछताये हैं…
तू अपनी राहों की मसावत कम कर दे
तेरी आहट की हम आस लगाये हैं…..!!!
अपनी आँखों से तेरा चेहरा हमेशा देखूँ
तेरी आँखों से मगर सारा ज़माना देखूँ...!!
पहले आहट का साया महसूस किया था साँसों ने..
फिर तेरे चेहरे को महसूस किया होगा मेरी आँखों ने...!!
मन में रहेगा मेरे बस प्यार का उजाला
हर राह ज़िन्दगी की रोशन करेंगी आँखें
ओ यार मेरे मुझको तस्वीर अपनी दे जा
तन्हाइयों में उससे बातें करेंगी आँखें….!!!
चलो आज
ये दुनिया
बांट लेते हैं;
तुम मेरे
और
बाकी सब
तुम्हारा
इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो....
बच के काँटों से
करो तुम क़दम, पैर नाज़ुक है उसको बचाया करो..!!
तुमने मुझको लिखा था जो ख़त प्यार का,
जो भी उसमें लिखा था वो अच्छा लगा
यूँ न नैनो से निंदिया चुराया करो,
आ के सपनों में मुझको सताया करो …..!!!
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं,
और क्या जुर्म है पता ही नहीं.|
इतने हिस्सों में बँट गयी हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं ..|
जाने क्यूँ लोग ख़त लिख़ना भूल जाते हैं ,
लिख्नना तो दूर जवाब देना भूल जाते हैं…
फ़ेर लेते हैं काग़ज़-कलम से मुँह अपना ,
हर्फ़ों का कर्ज़ हर्फ़ से देना भूल जाते हैं …!!!
मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ…
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे..!!!
जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे..,
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने बहुत रुलाया मुझे..|
आप मानें या न मानें मेरा अपना है यक़ीन
ReplyDeleteख़ूबसूरत ख्व़ाब से बढ़कर कोई धोखा नहीं….!!!मुहब्बत की बारिश में भीगा हुआ हूँ
तेरे बाद भी तुझमें डूबा हुआ हूँ…..
हुआ कैसा जादू अचानक ये मुझ पर
तुझे देखते ही मैं तेरा हुआ हूँ…..!!!
ये पंक्तियाँ मेरी ग़ज़लों से ली गयी हैं ,आपको शायर का नाम लिखने में क्या शर्म आती है ,आप गलत कर रहे हैं ये कापीराईट एक्ट का उल्लंघन है .
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के…
ReplyDeleteलगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया है…